सईयां की डोर
रख दो तुम मेरे लिए दुनिया भर के सोने-चांदी ,
पर मैं ना छोड़ू अपने सईयां की डोर।
प्रेम के मंदिर में यह पुजारन उनकी पूजा है कर रही ,
प्रेम के मनके चुन चुन के प्रेम की माला मन में है बुन रही ,
हो गयी है वो बाबरी , जग की झूठी माया से अब उसे कोई मोह नहीं।
बन गयी है वो जोगन , सईयां से बढ़कर अब कोई धर्म नहीं।
अपना इक इक पल मैं अब मैं बस तेरे साथ चाहूँ ,
चौबीस पहर तेरे इस चाँद से चेहरे को निहारूँ।
रग-रग में मैं तुझे बसा लूँ , जुड़ जाएँ ऐसे हमारे नाम ,
जैसे श्याम के बाद लिया जाता है राधा का नाम।
रख दो तुम मेरे लिए दुनिया भर के सोने-चांदी ,
पर मैं ना छोड़ू अपने सईयां की डोर।
– – अभिषेक शर्मा
nice one!
Thanks Anjali 🙂
Wonderful… Jai Sri Krishna!
Thanks a lot Anupriya 🙂
बहुत खूब