Categories: हिन्दी-उर्दू कविता

Arya Harish Koshal Puri
Poet from heart!
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आज़ाद हिंद
सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो !! मे पृथ्वी…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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जब तक रहेगा हिंदू मुसलमान जहॉ में ! रोयेगा फूट फूट के इंसान जहॉ में!! आओ गिरा दें मजहबी दीवार जहॉ से ! हो जाय…
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तन कुँआ मन गागरी, चंचल डोलत जाय ! खाली का खाली रहे, परम नीर नहिं पाय !! मोती तेरा नूर मैं, देखूं चारों ओर…
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Bahut khoob ji
nice
Good