सावन ज़रूरी है

सुखों का रास जो रच ले वही मधुवन ज़रूरी है !
लबों की प्यास जो रख ले वही सावन ज़रूरी है !!

बहुत हम बंट के रह आए हमें ये सोचना होगा !
जहॉ सब मिलके अब बैठें वही आंगन ज़रूरी है !!

 

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