हर्ष

ऐ हिमालय ऐ धरा , यूहीं मुस्कुराते रहें
न हो क्रंदन स्वर, सभी उर हर्षाते रहें
बस छह इतनी , देशहित शहीद होते रहें

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हर्ष

ऐ हिमालय ऐ धरा , यूहीं मुस्कुराते रहें न हो क्रंदन स्वर, सभी उर हर्षाते रहें बस छह इतनी , देशहित शहीद होते रहें

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

कैसे होते हैं……!

कैसे होते हैं……! ——————————— कोई पहचान वाले अनजान कैसे होते हैं जानबूझ कर कोई नादान कैसे होते हैं बदलता है मौसम वक़्त और’लम्हें सुना हेै–…

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