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हाइकु
हथेली पर सपनों की घड़ियाँ साकार नहीं। नदी के पार रेत के बडे़ टीले हवा नाचती। अशोक बाबू माहौर
“ धूप की नदी “
लड़की ; पड़ी है : पसरी निगाहों के मरुस्थल में ………….धूप की नदी सी । लड़की का निर्वस्त्र शरीर सोने—सा चमकता है लोलुप निगाहों में…
मृगतृष्णा
रेत सी है अपनी ज़िन्दगी रेगिस्तान है ये दुनिया, रेत सी ढलती मचलती ज़िन्दगी कभी कुछ पैरों के निशान बनाती और फिर उसे स्वयं ही…
संघर्ष ; शेष है !
किसी नदी का सिर्फ़ नदी होना ही पर्याप्त नहीं होता ॰ किसी भी नदी का जीवन बहुत लंबा नहीं होता बेशक; लंबा हो सकता है…
श्रधांजलि
आवो ! हम सब नमन करें भारत के वीर सपूतो का ! जिनने आज़ादी के हवन कुंड में अपना सब कुछ होम दिया आवो !…
वाह
Good