अँधेरा

अक्सर अँधेरे में फंस कर ही रौशनी का एह्साह होता है,

एक छोटा सा दीपक ही अँधेरे को मिटाने को पर्याप्त होता है,

यूँ तो नज़र नहीं आती अँधेरे में खामियां किसी की,

मगर ज़रा से उजाले में सब कुछ साफ़ साफ होता है,

बेशक रखता है उजाला अपनी एहमियत मगर,

अँधेरा ही ना हो तो उजाले का धुंधला प्रकाश होता है॥

राही (अंजाना)

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