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इंतज़ार

सूरज भी ढल गया आँचल में , उठ गया घूंघट भी चाँद का कब आओगी ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का…

केवट

समुंदर पार कर दो ए केवट प्रिय मेरे पार कर दो गंगा प्रिय लक्ष्मण भ्रात है साथ और है जनक दुलारी साथ जाना है चित्रकूट…

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