अन्नदाता कहलाता हूं

अन्नदाता कहलाता हूं
पर भूखा मैं ही मरता हूं
कभी सेठ की सूद का
तो कभी गोदाम के किराये का
इंतजाम करता फिरता हूं

बच्चे भूखों मरते है
खेत प्यासे मरते है
अब किसकी व्यथा मैं दूर करूं
मैं ही हरपल मरता हूं
अन्नदाता कहलाता हूं

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