Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
सावन
अब के झमाझम सावन ने ताना अंतरपट झीना, झिलमिल – झिलमिल अंबर से धरती तक ढोल – नगाड़े बजते अविरत बिजली का मंडोला सजता नभ…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जय जय हो तेरी प्रभु जगन्नाथ सरकार
विषय –जगन्नाथ रथयात्रा (*जय जय हो तेरी प्रभु जगन्नाथ सरकार*) हरि बोल के जयकारों से गूंज रहा सम्पूर्ण संसार बजते ढोल नगाड़े मंजीरा, जय जगन्नाथ…
बादल
बादल ,बादल बन आया था बादल , बादल बन छाया था चहुँ ओर बरसकर बादल ने भारी कोहराम मचाया था बादल बादल बन लहर गया…
बरखा रानी
घिर-घिर आये मेघा लरज-लरज, घरङ-घरङ खूब गरज-गरज, प्रेम की मानो करते अरज, धरती से मिलने की है अद्भुत गरज। रेशम सी धार चमकीली, नाचती थिरकती…
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ