बंद आंखों की
बंद आंखों की कोरों पर ठहरी बूंदें गोया पलकों के पीछे गहराते अंधेरे में क़ैद किरणें अपनी ही आंच में पिघलती जा रही हैं धीरे-…
बंद आंखों की कोरों पर ठहरी बूंदें गोया पलकों के पीछे गहराते अंधेरे में क़ैद किरणें अपनी ही आंच में पिघलती जा रही हैं धीरे-…
अब के झमाझम सावन ने ताना अंतरपट झीना, झिलमिल – झिलमिल अंबर से धरती तक ढोल – नगाड़े बजते अविरत बिजली का मंडोला सजता नभ…
अब के झमाझम सावन ने ताना अंतरपट झीना, झिलमिल – झिलमिल अंबर से धरती तक ढोल – नगाड़े बजते अविरत बिजली का मंडोला सजता नभ…
बचपन में पूछा करते जब भी दादी से दादी साड़ी श्र्वेत क्यों सर पर काले केश नहीं क्यों दादी कहतीं ‘ रंग गए सब दादा…
बारिश की बूंदें सहला गईं प्रकृति का अंग अंग हरियाईं उपेक्षित शिलाएं अहिल्या जन्मी राम जी के पदन्यास से ०८.०२.२०२२
झूमते पात फागुनी बयार में झूमते गात वासंती तानी खेतों पर चादर फूली सरसों दहके वन केसरिया वितान फूला पलाश महके वन महुआ से, अंबुआ…
थमी हुई जिंदगी थमे हुए पल रुकती, चुकती सांसें उंगलियों की पोरों से छूटते रिश्तों के रेशमी धागे ठंडी, बेजान दीवारों से टकराते जीने, मरने,…
मैं अभिमन्यु मां के पेट में ही मज़दूरी के गुर सीख चुका था; किंतु निकल नहीं पाया इस चक्रव्यूह से- इसी से पीढ़ी दर पीढ़ी…
लकड़ी जली, कोयला हुई कोयला जला, राख रही अग्नि परीक्षा सीता की राम जी की साख रही २७.०९.२०२०
लकड़ी जली, कोयला हुई कोयला जले, राख रही अग्नि परीक्षा सीता की हुई राम जी की साख रही १७.०५.२०२०
इंतज़ार झिलमिलाता रहा रातभर आंखों में! तुम नहीं तुम्हारा पैग़ाम आया ‘आज न सही, कल की बात रही’। चलो मान लेते हैं; एक और झूठ…
‘यह कैसा घर है! कि- जिस में एक भी झरोखा नहीं’ दहलीज़ पर खड़ी हवा बोली। सुनो कुछ देर को मुझे अंदर आने दो- यहां…
राह भूल सी गई है हमको जो छोड़ आओ, तो बात बने मंज़िल की सरहद पर दीया जो छोड़ आओ, तो बात बने मेरी तेरी…
1. कदम छोटा हे या बड़ा हर मोड़ पर इंतज़ार है ज़िंदगी को – चुन लिए जाने का 2. राम लिखा सुनहरा इतिहास ने तुम्हारा…
1. पहली ही सीढ़ी पर एहसास हुआ, सर पर खुला आसमां हो भले ही अब – पैर तले ज़मीन नहीं 2. चाहे-अनचाहे उग आए हैं…
सुनते आए हैं – अपनों का पर्व है होली मेरे आंगन जली होलिका मैं ही पंडित, मैं ही पूजा मैं ही कुंकुम, अक्षत औ” रॊली;…
माई री हम दोनों का दुःख साझा है.। तू कुम्हलाई तू मुरझाई ््अंग-अंग तेरे पड़ी बिवाई ्अंबर हारा दस दिश हारे सूख गया आंखों का…
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