अभिमन्यु नहीं है

अभिमन्यु नहीं है मगर चक्रव्यूह वैसा है
कहते नहीं बनता जीवन ये कैसा है
खड़े हैं कुरुक्षेत्र में लड़ने के लिए
कमाना और बचाना चाहते पैसा है

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