महल के बिस्तर चुभते रहते,
धन दौलत में अमीर जीते मरते।
मजदूर के जैसे खुदकिस्मत कहा,
चैन से कभी कहां सोते रहते।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी
महल के बिस्तर चुभते रहते,
धन दौलत में अमीर जीते मरते।
मजदूर के जैसे खुदकिस्मत कहा,
चैन से कभी कहां सोते रहते।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी