Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
लेख
कर सकें तो मदद करें मजदूर पर राजनिति नहीं आये दिन देखने को मिल रहा है सभी राजनीति पार्टियां मजदूरों पर राजनीति करने के लिए…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
क्या तुम अब भी वैसे ही जीते हो?
(जब किसी परिवार का एक बेटा शहीद हो जाता है और चंद सालों बाद सारी दुनिया उसके परिवार के दुखों को भुला देती है, उस…
हम वो पागल प्रेमी हैं जो मातृभूमि पर मरते हैं ।
न पायल पर, न काजल पर न पुष्प वेणी पर मरते हैं हम वो पागल प्रेमी हैं जो मातृभूमि पर मरते हैं । सियाचिन की…
Nice
👌👌