अवचेतन मन

तुम अवचेतन मन की चेतना।
तुम विरह की मधुर वेदना।
तुम इच्छित फल की साधना।
तुम ईश्वर की आराधना।
तुम सुंदर अदृश्य सपना।
तुम साकार मेरी कल्पना।
तुम संपूर्ण मेरी कामना।
हाथ सदैव ‘देव’ का थामना।

देवेश साखरे ‘देव’

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