आतंकवाद विरोधी दिवस (२१ मई)
ना जाने ज़मीर कहां खो गया उनका,
जो आतंकियों का साथ निभाते हैं,
हिंसा, नफरत का पाठ सीख कर,
दहशत,डर फैलाते हैं।
मजहब ,जिहाद के नाम पर,
मानव जाति को लड़वाते हैं,
स्वयं आतंक की शरण लेते,
औरों को आतंकी बनाते हैं,
26/11 जैसे हमलों से,
सबका दिल दहलाते हैं,
मानवता का भाव त्याग,
हैवानियत पर उतर आते हैं,
मस्तिष्क का गर सदुपयोग करें,
कुछ नया सृजन कर सकते हैं,
आतंकवाद की राहें छोड़,
भले मानुष वह बन सकते हैं,
आतंकवाद गर मिट जाए,
राष्ट्र सर्वोच्च शिखर पर अलंकृत हो जाए,
खुशियां घर आंगन में छाए,
अमन-चैन सुख शांति देश में काबिज हो जाए।।
उत्कृष्ट रचना
धन्यवाद आपका
Very nice
Thank u
उच्चकोटि की कविता
विश्व में फैले आतंकवाद को रोकने के लिए बनाए गए आतंकवाद विरोधी दिवस पर सुंदर भावनाओं को अपने अंदर समाहित करती हुई बहुत ही खूबसूरत तथा उत्कृष्ट रचना
सुंदर समीक्षा हेतु आपका धन्यवाद
वाह बहुत खूब
समीक्षा हेतु आपका धन्यवाद