Categories: शेर-ओ-शायरी
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व्यंग्य —- पूंछ पुराण
व्यंग्य …………………………………… ****** पूंछ— पुराण (समग्र)****** कभी देखा है ;आपने , ऐसा कुत्ता ! जो ; देखने में हो छोटा–सा मगर;पूंछ उसकी लंबी हो यानि…
कुछ दिल की सुनी जाये
चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ कर कुछ दिल की सुनी जाये कुछ मन की करी जाये एक लिस्ट बनाते हैं अधूरी कुछ आशाओं की उस…
बोल ; मेरी मछली !
जब अंधे;आपस में मिल बैठकर , : संध्या बांचते हैं कुत्ते : पत्तल चाटते हैं……….. यही तो है ; हमारी व्यवस्था ! कि; अंतिम पंक्ति…
प्रेम का संदेश दें
अपनी खुशियों पर रहें खुश दूसरों से क्यों भिड़ें, बात छोटी को बड़ी कर पशु सरीखे क्यों लड़ें। जिन्दगी जीनी सभी ने क्यों किसी को…
शायरी की बस्ती
एक ख़्याल सा ज़ेहन में लाया जाये, शायरी की बस्ती को अलग से बसाया जाये..मख़ौल ना किसी की ख्वाईशो का उड़ाया जाये। जहाँ हर दर्द…
वाह
Nice
Good
Wah
Good