आस पलती रही

वक्त थम सा गया, और ज़िन्दगी चलती रही।
तेरी याद बहुत आई, तेरी कमी खलती रही।
फ़िर ढूंढ़ने निकल पड़े तुझे, आंख के आंसू मेरे।
खैर, तू मिला नहीं, पर मिलने की आस पलती रही।

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Responses

  1. अरे, सतीश जी …. बहुत बहुत आभार सर 🙏
    आपकी समीक्षा सकारात्मकता की और ही ले जाती है।

    1. आपकी कलम से बहुत अच्छा साहित्य सृजन हो रहा है। बहुत बढ़िया लिखती हैं आप

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