आज़ादी के जश्न बहुत पहले भी तो तुमने देखे
माँ के दिल से बहते वो आंसू भी क्या तुमने देखे,
भूखे बच्चे लुटती अस्मत व्यभचारी ये व्यवस्था है
क्या सच में हो गए वो पुरे सपने जो तुमने देखे ,
हर किसान गमगीन यहाँ हर पढ़ा लिखा बेचारा है
छिपे हुए उनकी आँखों के आंसू क्या तुमने देखे ,
पर संकल्प आज ये करते हम सब मिल कर है सारे
करेंगे सपने वो पूरे जो मिलकर हम सबने देखे ,
न हिन्दू न मुसलमान न सिख न कोई ईसाई है
लड़ कर मधुकर देख चुके हम प्यार भी कुछ करके देखे
मधुकर