आ जाओ कहाँ हो तुम
आ जाओ कहाँ हो तुम,
कहाँ हो तुम,कहाँ हो तुम .
तुम्हारी गफलत के अफ़साने,
करते फिरते है दीवानें,
ए परवानों तुम्हे क्या खबर है-
बुझ रही है शमां – कहाँ हो तुम .
तूफानों ने ले ली है रफ़्तार,
मांझी ने छोड़ दि है पतवार,
डगमगा गई है नैया- कहाँ हो तुम .
ताल यहाँ है पर सुर कहाँ है,
मय यहाँ है पर साकी कहाँ है,
साँसें दे गई है जवाब- कहाँ हो तुम .
आ जाओ कहाँ हो तुम .
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