इंसान नहीं, आप ईश्वर…

My introduction :- “अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे इकतालीस वर्षीय हैं व दिल्ली में रहते हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । वे इसी पेशे से बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते हैं । वे गंभीर व संवेदनशील रचनाएं लिखने में ध्यान केन्द्रित करते हैं ख़ासकर के जो राष्ट्र हित में हों । उनकी कविताओं में शिक्षा, सीख व भाव होते हैं । उनका प्रयास सीधी व सहज कविताएं लिखने का होता है जो जन जन के दिल तक जा सकें व हर एक को आसानी से समझ आ सकें । वे इसे समय सदुपयोग का एक रचनात्मक माध्यम मानते हैं । अभी तक वे कई रचनाएँ लिख चुके हैं । उनके विचारों ने सामाजिक मीडिया में कई व्यक्तियों को लाभान्वित भी किया है । कविता लिखकर उन्हें ऐसी अनुभूति होती है मानो हर ख़्वाहिश पूरी हो गई हो । क्यूंकी – “जब दिल से उत्पन्न, फ़िर सब कुछ संपन्न, मन प्रसन्न, खुद से प्रोत्साहन” ।

उभरते कवि – आपके “अभी” (अभिनव)”

Gratitude to all doctors…..Thanks a ton 🙏🏻

इंसान नहीं, आप ईश्वर…

स्वीकार कीजिए कृतज्ञता,

देशभक्ति की आप पटकथा ।

दिल से आभार,

आप ना मानें हार ।

हर समय कार्यशील,

जैसे पत्थर मील ।

करें देश की सेवा,

ना रात, ना दिन देखा ।

आप हैं जैसे सैनिक,

तत्पर और निर्भीक ।

छोड़ परिवार व सुख,

करें देखभाल, भूल ख़ुद ।

आपके अनथक प्रयास,

डालते हममें आस ।

हम होते स्वस्थ,

आपकी मशक्कत ।

आप डालते ऊर्जा,

खिले चेहरा मुरझा ।

भावुक आज है मन,

तारीफ़ अनंत, शब्द कम ।

आंखें आज हैं नम,

देख आपका दमखम ।

पानी में जैसे नमक,

जाना आपका महत्व ।

अनगिनत उपकार,

प्रसन्नतापूर्वक उपचार ।

भाव से धन्यवाद,

कम पड़ रहे जज़्बात ।

आपके बहुत अहसान,

अब तक था अनजान ।

शुक्र गुज़ार और गर्व,

आप निभा रहे धर्म ।

नमन करूं हाथ जोड़,

ना आप, तो मैं कमज़ोर ।

आपका योगदान,

ना चाहे प्रमाण ।

लीजिए अभिवादन,

चित्त से अभिनन्दन ।

वैद्य, चिकित्सक, डॉक्टर,

इंसान दिखें, पर ईश्वर…

इंसान दिखें, पर ईश्वर…

स्वरचित – अभिनव ✍🏻

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