Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
स्वछंद पंछी
मुक्त आकाश में उड़ते स्वछंद पंछी आह स्वाद आ गया कहकर, वाह क्या जिंदगी कोई मुंडेर, कोई दीवार, या कोई सरहद देश की सब अपने…
आश्ना कब तेरे शहर
आश्ना कब तेरे शहर में कोई मिलता है जिसको देखो वो अजनबी सा मिलता है हमने देखी है इस जहाँ में ऐसी दरियादिली बिन मांगे…
शुक्रिया मोदी जी
छप्पन इंची सीना ना जाने कैसे बहत्तर इंची का हो गया वाह मोदी जी वाह ये तो कमाल हो गया सारा देश मोदी जी आपका…
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