इक ज़माना था

इक जमाना था
लोग प्यार करते थे
पर बताते न थे
इक जमाना है
प्यार का तो पता नहीं
पर रोज ही जताते हैं

प्रेमी के सुख दुःख का
कितना ख्याल था
बुरा न मान जाये कही
हर समय ही ध्यान था

उम्र गुजर जाते
पर बताते हुए डरते थे
कितने जिंदादिल थे
दुःख सहकर ख़ुशी देते थे

महबूब की चाहत अगर कोई और हो
उसकी चाहत का भी ख्याल करते थे
उनकी बड़ी गलतियों का भी
न दिल में मलाल रखते थे

अब तो ये आलम है की
अपनी फिक्र में ही सब डूबे हैं
चहेतो की क़द्र कहाँ हैं
अपनी ही शौख से न ऊबे हैं

प्यार का ढाबा है पर
जान तक ले लेते हैं
न जाने कितनो से ही
एक ही खेल खेले हैं

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. पुराने जमाने और नए जमाने का बखूबी यथार्थ चित्रण किया है राजीव जी बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ती और सुंदर प्रस्तुतीकरण । बहुत सुंदर रचना है सर ।

+

New Report

Close