खौफ

अन्याय हुआ था अगर इंसाफ की दरकार थी परिवार ही गायब हुआ खौफ बदनामी की थी ऐसे भेड़ियों को तब किसने सिंघासन दिया न्याय की…

गुरुदेव तुम्हारा अभिनन्दन

गुरुदेव तुम्हारा अभिनन्दन भारती के अमित चन्दन तुमसे है सुगन्धित शांतिवन युवा पढ़कर पाते पुनर्जीवन रचनाएं जागरण की जान बनी भारत जन का स्वाभिमान बनी…

है एहसास मुझे

माशूम ज़िंदगी के तुम्ही तो सहारे थे भोले चंचल मन को कितने प्यारे थे नयनो के दर्पण में अक्स उभरता था मुझे और खिलोने की…

साजिश

प्यार की जमीं साजिश के तहत तैयार की गयी ऊर्जा से भरे भारती संतान को बीमार कर गयी एक उम्र गुजरी अपनों से सीख कर…

आकलन

कहना है बहुत कुछ शब्द कम पड़ जाते अफ़सोस सदा रहता है काश पूरा कह पाते उनको कम कहना था अधिक शब्दों को गाते बात…

अपेक्षा

बिरोध के फूल खिलें हैं माशूम की निगाहों में मजे करने की चाहत दफन हुई कैदखाने में बच्चे का अधिकार दया बंद जनक के खाने…

निवारण

उम्र का फासला अलग जरूरत से ज्यादा आशा सदस्यों की अपूर्व ब्यस्तता बढ़ती शिकायत का है कारण शांत मन ही कर सकता निवारण सब सभी…

खैर कब तक मनायेगा

पाक नाम रखने से कोई पाक नहीं बन जाता आदत बिगड़ चुकी जिसकी सुधार मुश्किल से आता नादानियां इतनी कि उन्होंने गुस्ताखियों का उन्हें अंदाजा…

रूबरू

कष्टों में कोई कमी न हो मेरे प्रभु पर उन्हें सहने की क्षमता भी तूं जब भी मुसीबतों से दबा मैं कभी अवाक था मुझे…

मादक नशा

ये भी कैसा चाहत का मादक नशा जिसमें सब ही लोग उलझे पड़े हैं। अनुभवी सीढ़ियां इतनी पास खड़ी पर कतराते उससे कितनी दूर पड़े…

जीवन ही है

जग गया हूं प्रभु फिर एक बार शुक्रिया धन्यवाद कोटि-कोटि बार हर दिवस का जब होता अवसान अंदेशा रहता होगा कि न होगा बिहान तुझ…

मातृदिवस

मां तूं है ममता का सागर करुणामयि अमृत की गागर श्रृजनता अतुल्य अपरम्पार तेरा ऋणि ये सारा संसार सुमन सी प्रफुल्लित चंचल सन्मिष्ठा सी मधुर…

हे हनुमान

मंगल मूर्ति हे हनुमान बारम्बार तुम्हें प्रणाम तुझसे संभव सारे काम कष्ट हटे मन को आराम सेवा का संचार तुम्हीं हो जग का सद्व्यवहार तुम्हीं…

तेरे जन्मदिन से हो फिर नया विहान

मर्यादा की पराकाष्ठा सद्गुणों के धाम हे पुरुषोत्तम तुम्हें बारम्बार प्रणाम अवतार पूर्व मनुष्यता थी विकल ज्ञानी ध्यानी सारे संत थे विफल अत्याचार मुक्ति की…

कश्मकश

समझाना चाहते थे हम उनको क्या और वे समझे हैं देख लो जी क्या ये देख के लगता है यूं कश्मकश में चुप रहना ही…

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