सोंच अलग है
सोंच अलग है याददाश्त विलग है अपनी चाहतों के लिए वो आज हमसे अलग हैं लाखों जमा कर दोस्तों ने सारी उम्र की कमाई गवांई शहर की छोटी जमी के लिए वहीं पे सारी सुविधाएं जुटाई सिसकती रही गांव भूमि बेचारी जिन संसाधनों से जिंदगी बनाई कुछ ने बहुत सी फसलें उगाई जमीनें भी ली और बहुत सारी वहीं जहां की खुशबू ने पढ़ाई उन्हें शहर मंजिलो में पहुंचाई करनी पड़ेगी उनकी पर बड़ाई बचपन ने उन्हें यहीं खींच लाई आकर्षण के तार... »