Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
तेरे इश्क मे….
तेरे इश्क मे…….तेरे इश्क मे , तेरे इश्क मे बेबस हुए तेरे इश्क मे बेखुद हुए तेरे इश्क मे बेहद हुए दीवाने हम ! तेरे…
” बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…”
मेरी सांसो में तू महकता हैँ क़ायनात – ए – ग़ैरों में तू ही अपना लगता हैँ 1 . होंठों की ख़ामोशी समझा…
हम बेताब बैठे है
हम बेताब बैठे है इश्क़ करने को कोई बेइश्क हो, तो बता देना हम भी तो देखें इश्क़ क्या है और इसका अपना क्या मजा…
वो पुराना इश्क़
वो इश्क अब कहाँ मिलता है जो पहले हुआ करता था कोई मिले न मिले उससे रूह का रिश्ता हुआ करता था आज तो एक…
Waah
वाह बहुत सुंदर