उस दिन
क्या मेरी आँखों से ही तिरी कोई रंजिश थी उस दिन,
या तिरे दीदार की हर खबर झूठी थी उस दिन,
हर गलीं हर चौक पर तो दिल मेरा था झाँकता,
फिर किन गुज़रगाहों से तू गुजरी थी उस दिन,
फूल सारे ताकते थे इक नन्हीं कली आयेंगी उस दिन,
भौरों के भ्रमण में भी इक नयीं मस्ती थी उस दिन,
रूत ए पतझड़ में भी तो बहारों सी बातें थी उस दिन,
दिल के बागानों में भी तो नयीं कोमल शाखें थी उस दिन,
सब थे रूसवा पर मन प्रफुल्लित हो रहा था,
जैसे जश्न लेकर आ गई हो ईद और दिवाली उस दिन,
kaash ye din sabki jindagi me aae 🙂 nice
Thank u , and jarur aayega din bs intejaar chahiye hoga thoda sa …
वाह बहुत सुंदर