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एक और निर्भया

नहीं हूं मैं हिन्दू पहले,
न ही दलित की बेटी हुं।
मैं निर्भया आज की ,
इंसाफ़ मांगती,
मैं पहले देश की बेटी हुं।
क्यों नहीं पसीजा तुम्हारा हृदय,
जब हैवानों ने मुझे शर्मसार किया,
क्यो चुप थी मीडिया सारी,
जब जिस्म मेरा तार-तार किया,
कब मैं इंसाफ पाऊंगी?
या राजनीति में उलझ ,
फिर से दम तोड़ जाऊंगी।
रहेगा फासला वर्षों का,
या पल में इंसाफ पा जाऊंगी,
….मैं निर्भया आज की…

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