एक और निर्भया
नहीं हूं मैं हिन्दू पहले,
न ही दलित की बेटी हुं।
मैं निर्भया आज की ,
इंसाफ़ मांगती,
मैं पहले देश की बेटी हुं।
क्यों नहीं पसीजा तुम्हारा हृदय,
जब हैवानों ने मुझे शर्मसार किया,
क्यो चुप थी मीडिया सारी,
जब जिस्म मेरा तार-तार किया,
कब मैं इंसाफ पाऊंगी?
या राजनीति में उलझ ,
फिर से दम तोड़ जाऊंगी।
रहेगा फासला वर्षों का,
या पल में इंसाफ पा जाऊंगी,
….मैं निर्भया आज की…
She deserve a quick justice. Justice delayed is equal to justice denied.
बिल्कुल सही कहा आपने रीतिका जी,
समीक्षा के लिए हार्दिक धन्यवाद
इंसाफ मांगती है एक और निर्भया
जी सर, समीक्षा के लिए हार्दिक धन्यवाद
Superior
धन्यवाद
😔
🙏
उत्तम रचना
धन्यवाद सर
आपकी भावना का सम्मान।
बहुत बहुत आभार
हाथरस घटना से जुड़े बहुत ही मार्मिक व यथार्थपरक भाव
जी सर, धन्यवाद
Beautiful
Thank you
💯👌👌
धन्यवाद
दिल को छू लेनी वाली और सोचने के लिए मजबूर केने वाली कविता. 👍😢
Thank you so much
Yah aaj ka sach hai
धन्यवाद