एक छोटी सी शीशी में गिरतार हो गई
एक छोटी सी शीशी में गिरतार हो गई,
भला कैसे ये जिंदगी शर्मोसार हो गई,
यूँ तड़पी बेहद फिर तार-तार हो गई,
बेरुखी दुनियाँ भी तो बार-बार हो गई,
क्यों छिपती-छिपाती मेरी लाज एक दिन,
हर किसी की नज़रों के आर पार हो गई।।
राही (अंजाना)
Bahut khoob
Thank you
Thank you
बहुत सुन्दर
Osm
Thank you
Welcome
Thank you