Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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#कृष्णा
मंत्र मुग्ध हैं यशोदा देख , अठखेलियाँ घनश्याम की_ पाकर नंद भी उमंग से धरणी पर , नृत्य करते दुलार करते श्याम की_ शताब्दियाँ भी…
कविता : मोहब्बत
नदी की बहती धारा है मोहब्बत सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत सागर की गहराई सी है मोहब्बत निर्जन वनों की तन्हाई सी है…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
बताओ कैसे निभा सकोगे
जो मन में है तुम उसे कहो ना न बोलो चुपड़ी सी बात ऐसे दिखावा करके दिलों का नाता बताओ कैसे निभा सकोगे। भरा है…
मुक्तक
उष्णत्तर उरदाह की अनुभूति क्या तुम कर सकोगे कृत्य नीज संज्ञान कर अभिशप्तता मे तर सकोगे ! एक एक प्रकृति की विमुखता पर पांव धर…
वाह
Wah