कफ़न

सब एहसास दफ़न हो गये_ जब वो पहलू में किसी के गुमराह हो गये हम ज़िंदा थे..कयामत की जूदाई आई और हम कफ़न हो गये_…

#कृष्णा

मंत्र मुग्ध हैं यशोदा देख , अठखेलियाँ घनश्याम की_ पाकर नंद भी उमंग से धरणी पर , नृत्य करते दुलार करते श्याम की_ शताब्दियाँ भी…

पाक़ दिल

लफ़्ज़ बिकते हैं इमान बिकते हैं जब बिकने पर आये तो क्या-क्या बिकते हैं ज़माने में__ एक पाक़ दिल पिन्हां सा हैं जो दुनिया की…

मजबूर दिल

उसकी बेवफ़ाई पर हंसी आती हैं तो तरस भी__ अभी अन्जान हैं वो मोहब्बत से..दिवाना कुछ इस कदर हैं समझ लेता हैं वो हर पत्थर…

नाराज़गी

उसकी बेवफ़ाई पर हंसी आती हैं तो तरस भी__ अभी अन्जान हैं वो मोहब्बत से..दिवाना कुछ इस कदर हैं समझ लेता हैं वो हर पत्थर…

बेवफ़ाई

उसकी बेवफ़ाई पर हंसी आती हैं तो तरस भी__ अभी अन्जान हैं वो मोहब्बत से..दिवाना कुछ इस कदर हैं समझ लेता हैं वो हर पत्थर…

“ख्वाब “

अब साँसे भी सोचकर लेती हूँ___ कहीं ख़याल तेरे महकने ना लगे जो ख्वाब तुमने तोड़े थे कहीं दिल फिर उसे बुनने ना लगे___ -PRAGYA

“दोस्त”

जर्रा को आफ़ताब बना दे वो नज़र मेरे दोस्त की हैं_ मैं इतनी क़ाबिल तो नहीं की इंसा के लिबास में फरिश्ता नज़र आऊं_ बना…

“इश्क़ “

तन्हा-तन्हा बौराई सी फिरती हूँ हुज़ूम में भी_ कहकशाँ लगाती हूँ अपनी ही विरानियत में कुछ हाल-ए-बयां इश्क़ का इस तर्ज़ भी_ -PRAGYA-

“खामोशी “

ज़माना पुछता हैं चेहरे में गज़ब की कशीश- ए-खामोशी हैं_ कैसे कहे_? हरसू से नूर का तिरगी से भी वास्ता हैं मैं नियूश सा सुनता…

“खामोशी “

ज़माना पुछता हैं चेहरे में गज़ब की कशीश- ए-खामोशी हैं_ कैसे कहे_? हरसू से नूर का तिरगी से भी वास्ता हैं मैं नियूश सा सुनता…

जीद-ए-वस्ल

रक़िब ना बनों उल्फ़त के खामख्वाह वस्ल की जीद से_ दुरियों में ही सही लबरेज हैं दिल मोहब्बत से क्या इतनी आराईश काफी नहीं ढलती…

“यादें “

शब भर यादें तिरी शबनम सी दिल को भिगोती रहीं_ दूरियाँ इस कदर दरम्यां हमारे सिमट गई की मैं छूती रहीं हर याद तिरी वो…

“यकीं “

यूँ तो बीत गये कई पल बिन तेरे भी_ पर संग तेरे बीते वो अनमोल पल भुलाये नहीं भूलते_ ताजिंदगी तुझे चाहने की रज़ामंदी हैं…

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