कल्पना

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जब धरा उठ कर बने आकाश तो अच्छा लगे ,
जब मही की तृप्ति को बादल करे बरसात तो अच्छा लगे.

है अँधेरा, धुंध सा है,राह पथरीली बहुत ,
इस घुटन को चीर कर लूँ साँस तो अच्छा लगे.

मन शांत हो, जिज्ञाशु बुद्धि , और दया संचार हो,
भीड़ से उठकर कोई बोले “शाबास “तो अच्छा लगे .

खोज हो जब सत्य की , और धर्म  का संधान हो ,
शक्ति और क्षमता करें सहवास तो अच्छा लगे .

हो यहाँ प्रज्ञा अकल्पित , प्रेम का संगीत हो ,
धैर्य और साहस पर , हो अटल विश्वास तो अच्छा लगे .

हर कदम पर ,हर शहर में , हर ग़ज़ल हर गीत में ,
हो जहाँ भी मीर तेरी बात तो अच्छा लगे ..
…atr

#feel_it

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