कविता- आरती उतारा हमने |

कविता- आरती उतारा हमने |
साल सैकड़ो श्रीराम तिरपाल मे आरती उतारा हमने |
धूप गर्मी बरसात मे प्रभु भिंगी आंखो निहारा हमने |
भगवान को भी जाना पड़ेगा कोर्ट के दर पता न था |
तारीख पर तारीख साल दर साल राह गुजारा हमने |
करोड़ो लाखो मंदिर है भगवान श्रीराम सारी दुनिया मे |
श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या किया न कही गवारा हमने |
आजादी है सबको बने सुंदर दरबार उसके भगवान का |
लड़ना पड़ा साल सैकड़ो मंदिर को जीता दुबारा हमने |
अयोध्या है काबा चर्च गिरिजा गुरुद्वारा हर हिन्दू का |
श्रीराम सबके सबकी अयोध्या है सबको पुकारा हमने |
बने भब्य मंदिर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सब राम बने |
स्थापित हो राम राज्य भारत राम नीति सवारा हमने |
समाप्त हो रही घड़िया इंतजार फिर से दरबार सजेगा |
फहरेगा झण्डा श्रीराम अयोध्या लिया कोर्ट सहारा हमने |
श्रीराम लखन भरत शत्रुघ्न बिराजे संग सीता अयोध्या |
राम लला आए मन्दिर अपने हर राह हिन्द बुहारा हमने |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286

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Responses

  1. माफ कीजिएगा आरती उतारी हमने होगा क्योंकि आरती स्त्रीलिंग है

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