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कविता कहना छोड़ा क्यों ?

ओ !! प्रियतम मेरे
तू ही बता,
मेरा मन इतना
विचलित क्यों ?
मैं सच के पथ से
विचलित क्यों ?
जो दर्द उठाता कल तक
आवाज उठाता था कल तक
वह दर्द उठाना छोड़ा क्यों ?
कविता कहना छोड़ा क्यों ?
संसार की बातों में आकर
क्यों उल्टी-पुल्टी सोच रखी
इन आँखों में पर्दा रख कर
तेरी अच्छाई भूला क्यों ??
ओ !! प्रियतम मेरे
तू ही बता,
मैं सच के पथ से
विचलित क्यों ?
——- डॉ. सतीश पांडेय

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