कविता कहना छोड़ा क्यों ?

ओ !! प्रियतम मेरे
तू ही बता,
मेरा मन इतना
विचलित क्यों ?
मैं सच के पथ से
विचलित क्यों ?
जो दर्द उठाता कल तक
आवाज उठाता था कल तक
वह दर्द उठाना छोड़ा क्यों ?
कविता कहना छोड़ा क्यों ?
संसार की बातों में आकर
क्यों उल्टी-पुल्टी सोच रखी
इन आँखों में पर्दा रख कर
तेरी अच्छाई भूला क्यों ??
ओ !! प्रियतम मेरे
तू ही बता,
मैं सच के पथ से
विचलित क्यों ?
——- डॉ. सतीश पांडेय

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. प्रश्न अलंकार का प्रयोग।
    कवि ने अपने ह्रदय में उठती उथल-पुथल को कविता के माध्यम से व्यक्त किया है।
    तथा अनुप्रास अलंकार का प्रयोग

+

New Report

Close