कविता : भाई दूज
भाई दूज का पर्व है आया
सजी हुई थाली हाथों में
अधरों पर मुस्कान है लाया
भाई दूज का पर्व है आया ||
अपने संग कुछ स्वप्न सुहाने लेकर
अपने आंचल में खुशियां भरकर
कितना पावन दिन यह आया
बचपन के वो लड़ाई झगड़े
बीती यादों का दौर ये लाया
भाई दूज का पर्व है आया ||
कुछ वादों को याद दिलाने
किसी की सुनने अपनी सुनाने
प्रेम सौहार्द का तिलक लगाने
रिश्तों की सौगात है लाया
भाई दूज का पर्व है आया ||
‘प्रभात ‘बहना ही भाई का दर्द देखकर,
छुप छुप कर रोती है
बहना ही ,जीवन को
सुवासित महकता इत्र कर देती है
प्रेम ,स्नेह ,अपनत्व ,विश्वास
जिसके ह्रदय सरोवर में समाया है
बहना ही वो शब्द है
जिस शब्द में ईश्वर समाया है ||
भाई दूज पर बहुत सुंदर कविता
thanks ma’am
very good
thanks sir
बहुत खूब
thanks sir