कविता
कुछ कहती नहीं बहुत कुछ कह जाती है कविता,
खामोश दिखती है पर बहुत बोल जाती है कविता,
चन्द शब्दों से नहीं एहसासों से बुनी जाती है कविता,
खुद बंधती नहीं मगर सबको बाँध जाती है कविता,
कवियों की कलम से रची जाती है कविता,
हर किसी के दिल को छू कर जाती है कविता,
ख़ुशियों के मौसम हो या गमों के बादल,
कभीं दिल तो कभी आँखों में उतर जाती है कविता,
यूँ तो उलझे हुए सवालों को सुलझा जाती है कविता,
सच कहूँ तो कोरे कागज़ पर चित्र बना जाती है कविता।।
राही (अंजाना)
bahut khoobsurati se define kiya he kavita ko
Thank you
bhut badiya
Thank you
Good