कहां तुम चले गए…!!
रोई तो होगी आज
चांदनी भी,
टपक के गिरी होगी जमीं पर
बूंद बूंद बन के पिघली होगी वो
हाय ! कैसे संभली होगी वो
निराश नैन पथरा गये होंगे
दिल के टुकड़े हो गए होंगे
ना पाई होगी जब
अपने आस पास अपनी गुड़िया वो
लब अवश्य थरथराए होंगे
बोले होंगे बेचैन नैन
बिन कहे कुछ भी
ओ मेरे आंचल के नन्हे पुष्प
‘कहाँ तुम चले गए..!!!
मार्मिक, करूण अभिव्यक्ति
बहुत-बहुत धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर भाव है
बहुत-बहुत धन्यवाद सर
मार्मिक
Thanks