कहीं बेघर ने इक छत का सहारा कर लिया होता…….

कहीं बेघर ने इक छत का सहारा कर लिया होता

तो फिर हर हाल में उसने गुजारा कर लिया होता।

मुसाफिर का सफर थोड़ा जरा आसान हो जाता

अगर रस्तों ने मंजिल का इशारा कर दिया होता

किनारे पर ही आकर के अगर हर बार डूबेगी

तो तूफां में ही कश्ती ने किनारा कर लिया होता।

अभी बाकी तुम्हारी दास्तां थी, क्या पता उनको

वो रुक करके चले जाते, इशारा कर दिया होता।

तेरी रंगीन दुनियां देखने को वो भी तरसे हैं

जो आंसू सूख पाते तो नजारा कर लिया होता।

वो पहली चोट भारी न पड़ी होती अगर दिल पर

तो हमने इश्क भी यारो दोबारा कर लिया होता।

………….सतीश कसेरा

 

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