Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
तेरी कश्ती मेरी कश्ती
तेरी कश्ती मेरी कश्ती बस इतनी सी तो रवानी है हर ज़िन्दगी की कहानी है सब कागज की कश्ती है और ख़ुद को पार…
हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
संगीत सहित हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे राम तुम्हीं हो भव-भय हरन वाले — 2 बार…
ओडिशा यात्रा -सुखमंगल सिंह
यात्रायें सतयुग के सामान होती हैं और चलना जीवन है अतएव देशाटन के निमित्त यात्रा महत्वपूर्ण है | मानव को संसार बंधन से छुटकारा पाने…
वंदेमातरम् गाता हूँ
नारों में गाते रहने से कोई राष्ट्रवादी नहीं बन सकता। आजादी आजादी चिल्लाने से कोई गांधी नहीं बन सकता। भगत सिंह बनना है तो तुमको…
Waah
Abhar 🙂