Categories: शेर-ओ-शायरी
anupriya sharma
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
तनहा
इश्क़ में हैं गुज़रे हम तेरे शहर से तनहा, महब्बत के उजड़े हुए घर से तनहा! हम वो हैं जो जीये जिंदगी भर से तनहा,…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
तनहा-तनहा सा है, बिखरा-बिखरा सा
ये गुलाब थोड़ा तनहा-तनहा सा है ये गुलाब थोड़ा बिखरा-बिखरा सा है छूटा है ये शायद किसी के हाथों से ये गुलाब थोड़ा सहमा-सहमा…
खयाले यार से दिल खुशगवार कर लेंगे
खयाले यार से दिल खुशगवार कर लेंगे मिला न तू तिरे ख्वाबों से प्यार कर लेंगे नसीब सबको नहीं हैं गुलाब की राहें नहीं हैं…
Nice
वाह बहुत सुंदर