किस राह के हो अनुरागी

ईश्वर किसी एक धर्म , किसी एक पंथ या किसी एक मार्ग का गुलाम नहीं। अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानने से ज्यादा अप्रासंगिक मान्यता कोई और हो हीं नहीं सकती । परम तत्व को किसी एक धर्म या पंथ में बाँधने की कोशिश करने वालों को ये ज्ञात होना चाहिए कि ईश्वर इतना छोटा नहीं है कि उसे किसी स्थान , मार्ग , पंथ , प्रतिमा या किताब में बांधा जा सके। वास्तविकता तो ये है कि ईश्वर इतना विराट है कि कोई किसी भी राह चले सारे के सारे मार्ग उसी की दिशा में अग्रसित होते हैं।

किस राह के हो अनुरागी ,
देहासक्त हो या कि त्यागी?
जीवन का क्या हेतु परंतु ,
चित्त में इसका भान रहे ,
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।

है प्रयास में अणुता तो क्या,
ना राह में ऋजुता तो क्या?
प्रभु की अभिलाषा में किंतु ,
ना हो लघुता ध्यान रहे ,
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।

कितनी प्रज्ञा धूमिल हुई है ?
अंतस्यंज्ञा घूर्मिल हुई है ?
अंतर पथ अवरोध पड़ा ,
कैसा किंतु अनुमान रहे ,
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।

बुद्धि शुद्धि या तय कर लो ,
वाक्शुद्धि चित्त लय कर लो ,
दिशा भ्रांत हो बैठो ना मन,
संशुद्धि संधान रहे ,
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।

कर्मयोग कहीं राह सही है ,
भक्ति की कहीं चाह बड़ी है,
जिसकी जैसी रही प्रकृत्ति ,
वैसा हीं निदान रहे।
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।

अजय अमिताभ सुमन:
सर्वाधिकार सुरक्षित

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

+

New Report

Close