Site icon Saavan

कुर्सी क्या है?

कुर्सी क्या है ?
कितना मुश्किल है इसे समझना।
सब राजनीति की संरचना है,
सुन रखे हैं पुराने वादें,
अब नए वादों में फंसना है।
ये तो कुर्सी का मसला है।
कहीं सत्ता की चाल है ,
कहीं कुर्सी का दाव है।
फिर से,
दो कुर्सियां आपस में जा टकराई।
जो बच गयी ,
वो कुर्सी फिर सत्ता में आई।
आम जनता; आम ही रह गई।
जो ना बदली , वो बदल ना पाई।
अब क्या करें !
भगवान भरोसे सब
रख छोड़ा है ,
सब ने कुर्सी से नाता जोड़ा हैं,
जनकल्याण के नारे,
किताबों में ही अच्छे लगते हैं,
अब रोज़ यहां बड़े चाव से,
कुर्सी के नारे लगते है।

Exit mobile version