कुर्सी क्या है?
कुर्सी क्या है ?
कितना मुश्किल है इसे समझना।
सब राजनीति की संरचना है,
सुन रखे हैं पुराने वादें,
अब नए वादों में फंसना है।
ये तो कुर्सी का मसला है।
कहीं सत्ता की चाल है ,
कहीं कुर्सी का दाव है।
फिर से,
दो कुर्सियां आपस में जा टकराई।
जो बच गयी ,
वो कुर्सी फिर सत्ता में आई।
आम जनता; आम ही रह गई।
जो ना बदली , वो बदल ना पाई।
अब क्या करें !
भगवान भरोसे सब
रख छोड़ा है ,
सब ने कुर्सी से नाता जोड़ा हैं,
जनकल्याण के नारे,
किताबों में ही अच्छे लगते हैं,
अब रोज़ यहां बड़े चाव से,
कुर्सी के नारे लगते है।
True
Thank you
Nice poetry
Thank you
👌✍✍❤❤👌
🙏
राजनीति पर निर्मित कविता तारीफ़ ए क़ाबिल है।
धन्यवाद जी
Very True
Thank you
राजनीति व राजनेताओं के सच को सामने लाती बहुत सुंदर कविता
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
अद्भुत
Thank you
सत्य वचन
Thank you
अत्यंत प्रिय
धन्यवाद सर