कुसुम तुम खिलते हो कैसे

कुसुम खिलते हो तुम कैसे
तुम्हारी पंखुड़ियों में रंग
बताओ! भरते हैं कैसे।
कौन है ऐसा चित्रकार
या कारीगर रंगों का,
कौन है इतना भाव समझता
विलग-विलग रंगों का।
कुछ पंखुड़ियां अलग रंग की
कुछ पराग हैं अलग तरह के
उनमें उड़ते भंवर-पतंगे
अलग-अलग ढंगों के।
खुशबू अलग-अलग भरता है
कारीगर रंगों का,
करता है श्रृंगार तुम्हारे
चेहरे के भावों का।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close