Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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इस ख्वाइशों की समन्दर ने मुझे चखना-चुर किया
✍✍इस ख्वाइशों की समन्दर ने मुझे चखना-चुर किया। अपनी मीठी धारा दिखाकर मुझे लहूँ- लुहाँन किया है✍✍✍ ज्योति
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
तुमसे मिलने की तमन्ना अभी भी बाकी है
कंकड वाले रास्ते हो ,या हो साफ रास्ते, सफर को पुरा करने के लिए अरमान बाँकी है। बाँध लिया कफन तेरे नामो की माथे पर…
प्यासा समंदर और मैं
मैं प्यासा था, समंदर में, दो अंजुली प्यास, खो आया । बड़ा आरोप लगा मुझ पर, मैं अपना आप खो आया ।। समंदर नें, उदासी…
कविता
कविता- ज्योति पासवान ——————————– आज लूटी है उस की ज्योति ,कल तेरी ज्योति लूट जाएगी| आंख की ज्योति , घर की ज्योति! ज्योति चाहे जिसकी…
वाह
सुन्दर