खामोश तस्वीरों की जैसे कोई आवाज बन गया हूँ,
अनजाने में ही जैसे उनके अल्फ़ाज़ बन गया हूँ,
जो कह नहीं पाती वो अपनी आँखों से खुलकर,
मैं उनके कबीले का कोई सरदार बन गया हूँ,
छिपा नहीं पातीं वो जो दर्द अपने चेहरे पर,
मैं उन्ही के करीब का कोई रिश्तेदार बन गया हूँ।।
राही (अंजाना)
बेहतरीन
धन्यवाद सर
Osm