खुद की गलती देख ले(कुंडलिया छन्द)
खुद की गलती देख ले, गर अपनी यह आंख,
तब सुधार होगा सरल, खूब बढ़ेगी साख।
खूब बढ़ेगी साख, कमी खुद दूर रहेगी,
गलत दिशा में न जा, हमेशा यही कहेगी।
कहे लेखनी अगर, देख लो खुद की गलती,
तब पाओगे स्वयं , आप चारित्रिक बढ़ती।
वाह वाह,बहुत खूब,
खुद की गलती देख ले, गर अपनी यह आंख,
तब सुधार होगा सरल, खूब बढ़ेगी साख।
________कुंडलिया छंद में बहुत सुंदर संदेश देती हुई कवि सतीश जी की बेहतरीन रचना। अति उत्तम लेखन
अतिसुंदर भाव