ख्याल करती,बेहाल करती……..

शुक्र है मोहोब्बत का कोई मज़हब नहीं होता
वर्ना ये भी अमीरी और गरीबी का ख्याल करती

मिल जाती हर शक्श-ऐ-आमिर को
और हम जैसो को ये बेहाल करती……………………………!!

D K

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