गजल- मुजरिम ए मोहब्बत |
गजल- मुजरिम ए मोहब्बत |
बहर -आजाद ,रदीफ़ -करेंगे ,काफिया – आर
तू खुश रहे तुझसे प्यार न करेंगे |
आएगा नही तू तेरा इंतजार न करेंगे |
चाहे जितना ढा ले तू जुल्मों सितम |
वादा है मेरा तुझे कसूरवार न करेंगे |
जितनी भी तलब हो तेरी मुझे मगर |
दिल का कभी तुझे इजहार न करेंगे |
बगैर तारीफ मेरी क्या तू हसीन नही |
जुबां पे आए तारीफ इश्तहार न करेंगे |
तड़पा के देख ले तू जी भर के मुझे |
दर्द न हो तुझे कभी पलटवार न करेंगे |
इश्क मैंने किया सजा भी मिले मुझे |
दिल दुखे तेरा तुझसे तकरार न करेंगे |
तेरा आशिक हूँ सजा का हकदार भी |
दिल दे या दर्द उफ़ सरकार न करेंगे |
मुजरिम ए मोहब्बत हूँ तेरा सजा दे मुझे |
तू जन्नत ए हुशन नजर तलवार न कहेंगे |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
बोकारो ,झारखंड
मोब – 995509286
सुन्दर गजल
शानदार प्रस्तुति
सुंदर ग़ज़ल