गम की हवेली

****

था पहले दिल मेरा इक गम की हवेली
अब हजारों गमों के झुग्गीयों की बस्ती हो गया!!

****

 

Related Articles

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

+

New Report

Close