गम बनाम खुशी

।। गम बनाम खुशी ।।

गम बोला खुशी से —-बता बता दो जा रही हो जिसकी जिंदगी से।

खुशी—वहाँ तो मेरा आना जाना लगा रहता है मैं देख नहीं सकती उनके दुखी चेहरे, तुम जाते हो तो लौटने का नाम नहीं लेते।

गम फिर बोला खुशी से ——-इतनी ही चिंता है तो क्यों जा रही हो उनकी जिंदगी से।

खुशी ——-ईश्वर ने कहा है “मेरे आमंत्रण की सूची(लिस्ट)बहुत लंबी है। सब के घर एक साथ पूरे समय के लिए जाना संभव नहीं है।ऐसा करना बारबार जाना थोड़े थोड़े समय के लिए”।

गम—-अरे उनका ही बता दो जा रही हो जिसकी जिन्दगी से।

खुशी ——-देखो बिन बुलाए जाते नहीं हैं किसी के घर में।वैसे भी तुम्हारा आमंत्रण नहीं है किसी की लिस्ट में।

 

( मुस्कान कायम थी अभी भी गम के चेहरे पर,खुशी सोच रही थी क्योंकि अब उसके सवाल की  बारी थी।)

खुशी ——ये बताओ कोई तुम्हें बुलाता नहीं फिर भी तुम कैसे घुस जाते हो किसी के घर में।

गम—— क्रोध,मोह,ईर्ष्या,छल,कपट,द्वेष,स्वार्थ,कुटिलता और झूठ मेरे मित्र हैं।जो हर घर में अपने कामों में लिप्त हैं।वही पता बता देते हैं और साथ ही द्वार खोल देते हैं हर घर का।

खुशी——-जो सच्चे हैं अच्छे हैं वो भी तो दुखी हैं।और उन में छल कपट द्वेष ईर्ष्या जैसे दोस्ती भी नहीं है।कैसे जगह बना पाते हो तुम उनके घर में ।

गम——–इसकी भी कई वजह हैं वो अधर्म,अन्याय, झूठ के खिलाफ खामोश हैं डरे हैं,तमाशाबीन हैं,निष्क्रिय हैं।ऐसे सन्नाटे भरे वातावरण में दवे पाव जाता हूँ गिद्द सी नजरें गढ़ाये बैठ जाता हूँ।मौका पाते ही मोह से मित्रता कर घुसपैठ कर घर में घुस जाता हूँ।

खुशी ——–जो आवाज उठाते है उनका क्या?

गम——थोड़ी तो दिक्कत होती है उन्हें पर अन्त में पाते है वो मुझ पर विजय।और प्रेरणा,विचार,धर्म,महानायक,महानआत्मा बन जाते हैं।उनके जीवन के हर एक घटनाक्रम से सीख लेके,अनुसरण करके वह भी विजय पाते हैं मुझ पर।

 

(अब खुशी थी दोनों के चेहरों पर सुख-दुख का फेर जान के,अब दोनों चल दिए अपने अपने घर की तलाश में।)

पारुल शर्मा 

 

 

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